बोलानी, 13 अप्रैल (शिबाशीष नंदा) – झारखंड और ओडिशा की सीमा से सटी खनिज संपन्न बोलानी क्षेत्र में रेल विभाग की अनदेखी जानलेवा साबित हो रही है। बोलानी खदान और टाउनशिप को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क पर स्थित यह रेल अंडरपास अब खतरे का दूसरा नाम बन गया है। यह अंडरपास करीब 75 साल पुराना है और इसकी छत से अब कंक्रीट के बड़े-बड़े टुकड़े गिरने लगे हैं, जो कभी भी किसी की जान ले सकते हैं।
शनिवार को एक दुपहिया चालक बाल-बाल बचा, जब उसके ठीक सामने छत का एक हिस्सा गिर पड़ा। अगर वह कुछ सेकेंड भी देर करता, तो जान जाना तय था।
दक्षिण-पूर्व रेलवे कमा रहा हज़ारों करोड़, लेकिन सुरक्षा पर खर्च नहीं!
हैरत की बात यह है कि केवल बोलानी खदान से रेलवे हर साल 800 से 1000 करोड़ रुपये की माल ढुलाई में आमदनी कर रहा है। बावजूद इसके, रेलवे द्वारा इस जर्जर अंडरपास की मरम्मत तक नहीं करवाई गई है।
हर दिन हज़ारों टन माल लादे ट्रेनों का दबाव
अंडरपास के ऊपर से हर दिन भारी मालगाड़ियां गुजरती हैं, जिससे इसकी हालत और भी नाजुक होती जा रही है। नीचे से गुजरने वाली सड़क अत्यंत संकरी है और आए दिन छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
बोलानी विकास परिषद के शुबाषिष नंदा ने आरोप लगाया कि दक्षिण-पूर्व रेलवे के अधिकारी न केवल इन समस्याओं को अनदेखा कर रहे हैं बल्कि इस क्षेत्र के लोगों को यात्री सेवाओं से भी बंचित कर रहे हैं । उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि दिन प्रतिदिन इस क्षेत्र से दक्षिण-पूर्व रेलवे माल ढुलाई से होने वाली कमाई को बृद्धि कर रही है और दुसरी तरफ इस क्षेत्र से यात्री सेवाएं घटा रही है । वहीं उन्होंने कहा कि बड़बिल- हावड़ा जनसताब्दि, टाटा-बड़बिल पैसेंजर, टाटा- गुआ पैसेंजर जैसे ट्रेनें बरसों से अपनी समय से कई घंटों देरी से चल रहे हैं ।