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गर्मी की छुट्टियों में कुसुम वृक्ष से लाख संग्रह कर रहे बच्चे

Apr 28, 2025
Odishakhabar:

बोलानी, 28/4 (शिबाशीष नंदा) – राज्य सरकार ने तेज गर्मी को देखते हुए छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर सभी स्कूलों में छुट्टियाँ घोषित कर दी हैं। लेकिन केन्दुझर जिले के सीमावर्ती खनन क्षेत्र में रहने वाले गरीब आदिवासी बच्चे इस छुट्टी के समय को एक नयी दिशा में उपयोग कर रहे हैं। खाली समय में खेलने या बेकार बैठने के बजाय ये बच्चे प्राकृतिक परिवेश में मौजूद कुसुम वृक्षों से लाख एकत्र कर रहे हैं।

लाख एक प्राकृतिक रेजिन है, जो कुसुम सहित अन्य कुछ वृक्षों पर पाए जाने वाले छोटे-छोटे कीटों से प्राप्त होता है। इसका उपयोग चूड़ी निर्माण के अलावा सोने के आभूषणों और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में भी बड़े पैमाने पर होता है। बच्चे वृक्षों पर चढ़कर बड़े परिश्रम से लाख संग्रह करते हैं और स्थानीय व्यापारियों को 300 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचते हैं।

तीन-चार बच्चों का एक समूह मिलकर यह कार्य करता है और एक वृक्ष से लगभग 100 से 200 रुपये तक की कमाई कर लेते हैं । कुछ बच्चे प्रतिदिन 500 से 700 रुपये तक कमा लेते हैं। बच्चे बताते हैं कि भले ही यह कार्य जोखिम भरा हो, पर इससे उन्हें अच्छी आय हो रही है।

लाख की बिक्री से अर्जित पैसों से वे अपनी आवश्यक सामग्रियाँ जैसे कपड़े आदि खरीदते हैं तथा बची हुई राशि अपने अभिभावकों को देते हैं। जहाँ स्थानीय बाजार में लाख 300 रुपये प्रति किलो बिकता है, वहीं पड़ोसी राज्य झारखंड में इसका मूल्य 700 से 800 रुपये प्रति किलो है। यदि बाहरी व्यापारी इनसे सीधे लाख खरीदें, तो ये बच्चे अपने श्रम का दोगुना मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।

हालाँकि शिक्षा का अपना अलग महत्व है, फिर भी लाख संग्रह के माध्यम से कमाई की क्षमता ने इन बच्चों में जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता की भावना को विकसित किया है। कठिन परिस्थितियों में भी कैसे जिम्मेदार और स्वावलंबी बना जा सकता है, यह बच्चे समाज को एक प्रेरणा दे रहे हैं। वहीं यह संघर्षपूर्ण कहानी खनिज संपन्न केन्दुझर जिले के प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित खनिज क्षेत्र में व्याप्त गरीबी की एक स्पष्ट तस्वीर भी प्रस्तुत करती है।

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