बोलानी 17 April(शिबाशीष नंदा) – बीते साल आए चक्रवाती तूफ़ान "दाना" ने ग़रीब दिहाड़ी मज़दूर सुरेश के परिवार पर अपार दुख लेकर आया था। तूफ़ान ने उनके घर की दीवारें और छत को पूरी तरह से ढहा दिया था। हालांकि इस घटना को एक साल से ज़्यादा वक़्त बीत चुका है, लेकिन आज भी यह परिवार एक फटे हुए तिरपाल के नीचे जीवन बिता रहा है।
यह घटना राज्य के मुख्यमंत्री के जिले, खनिज समृद्ध केंदुझर जिला अंतर्गत बालागोडा पंचायत अंतर्गत खनिज क्षेत्र बोलानी बिरसा क्लब हटिंग के पास घटित हुई है, जहाँ सुरेश का पूरा परिवार रोज़ाना संघर्ष और दुख के बीच जीवन व्यतीत कर रहा है। रोज़गार की कमी के कारण यह परिवार कभी खाना मिलता है, तो कभी भूखा ही रह जाता है। इस तरह की गरीबी में सिर पर छत ना होना उनके लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। घर की हालत ऐसी हो चुकी है कि साधारण बारिश और हवा में भी उन्हें दूसरों के घर में शरण लेनी पड़ती है।
तूफ़ान के बाद स्थानीय लोगों ने सरपंच और प्रशासन को इसकी जानकारी दी थी। बड़बिल तहसील की ओर से स्थानीय सरपंच के सहयोग से उन्हें एक तिरपाल दिया गया था। यही तिरपाल अब सुरेश के परिवार के लिए एकमात्र सहारा और आश्रय बना हुआ है।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस खनिज क्षेत्र से केंद्र और राज्य सरकार को हज़ारों करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है, फिर भी खनिज क्षेत्र के इस गांव का यह परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है। एक ओर जहां सरकार विभिन्न योजनाओं का प्रचार कर रही है, वहीं सच्चाई यह है कि यहाँ कई ग़रीब परिवार आज भी सरकारी सहायता की प्रतीक्षा में हैं।
स्थानीय सरपंच गौरी खुंटिया ने बताया, "पीड़ित परिवार को एक तिरपाल दिया गया है, लेकिन वे जिस स्थान पर रह रहे हैं वह खान क्षेत्र की लीज़ भूमि पर आता है, इसलिए उन्हें आवास योजना में शामिल नहीं किया जा सकता। फिर भी हम यथासंभव सहायता देने की कोशिश करेंगे।"
इस पर सुरेश और उनका परिवार निवेदन कर रहा है – “अगर सरकार हमें घर और सहायता प्रदान करेगी तो हम एक सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जी सकेंगे।”