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छठ पूजा से पहले कचरे में डूबा बड़बिल — 42 लाख मासिक सफाई बजट पर उठे गंभीर सवाल

Oct 26, 2025
Odishakhabar:

बड़बिल, 26 october( स्वतंत्र प्रतिनिधि)

आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियों के बीच बड़बिल नगर की सड़कों पर पसरी गंदगी ने नगर प्रशासन की पोल खोल दी है। हर महीने सफाई पर लगभग 42 लाख रुपये खर्च होने के बावजूद, शहर का हाल बद से बदतर बना हुआ है। भक्त जहां घाटों की सजावट और पूजा की तैयारियों में लगे हैं, वहीं नगर के कई इलाके कचरे के ढेर में तब्दील हो चुके हैं।

गंदगी से अटे पड़े प्रमुख मार्ग

छठ घाटों तक जाने वाले प्रमुख रास्ते — ओएमसी चौक से लक्ष्मीनगर होते हुए कारो नदी घाट तक — कचरे से पटे पड़े हैं। जगह-जगह सड़े-गले कचरे के ढेर, दुर्गंध और मच्छरों का प्रकोप लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।

प्रमुख स्थानों में ओएमसी चौक, गोबिंद टॉवर, मृणाल कॉलोनी लेन, यूनियन बैंक के पास, स्टेसन रोड, आईटीआई चौक और लक्ष्मी मैदान क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

इसी तरह, बडबिल डैम घाट की ओर जाने वाली सड़क — खासकर बस्ती चौक और अपर बस्ती क्षेत्र — भी कचरे की मार झेल रहा है। श्रद्धालु इसे देखकर कहते हैं कि “जब शहर ही साफ नहीं, तो घाट की पवित्रता कैसे बनी रहेगी?”

नगर प्रशासन का दावा, जल्द होगी सफाई

इस गंभीर स्थिति पर नगर पालिका के स्वच्छता निरीक्षक काली प्रसाद महंतो ने कहा कि छठ पूजा से पहले सभी घाटों और रास्तों की सफाई कराई जाएगी। साथ ही ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव भी किया जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की दुर्गंध या संक्रमण की समस्या न हो।

जनता में नाराजगी, कार्रवाई की मांग

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल त्योहारी सीजन में सफाई को लेकर सिर्फ आश्वासन ही दिए जाते हैं, पर हालात जस के तस बने रहते हैं। नागरिकों ने नगर पालिका से जवाबदेही तय करने और ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

लोगों का कहना है — “छठ पूजा आस्था का पर्व है, इसे स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक बनाना नगर प्रशासन की जिम्मेदारी है। अगर हर महीने लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं, तो शहर की हालत ऐसी क्यों है?”

अब सवाल उठता है — आखिर 42 लाख रुपये हर महीने कहां जा रहे हैं?

जब श्रद्धालु अपने भगवान के स्वागत में घाटों को सजाने में जुटे हैं, तब नगर प्रशासन की लापरवाही ने पूरे शहर को शर्मसार कर दिया है। अगर बडबिल को फिर से स्वच्छ बनाना है, तो केवल बयानों से नहीं — जमीन पर दिखने वाली कार्रवाई से ही भरोसा बहाल हो सकेगा।

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