बोलानी,27जुलाई(शिबाशीष नंदा) -
केंदुझर जिले के सीमांत तथा खान क्षेत्र बोलानी स्थित उपडाकघर में बीते दो महीनों से आधार से जुड़ी सभी सेवाएं बंद पड़ी हैं। डाक विभाग में अधिकृत कर्मचारियों की कमी के चलते विभाग द्वारा अस्थायी रूप से यह सेवा रोक दी गई है। इस सेवा पर आश्रित बोलानी और बालागोड़ा पंचायत के करीब 20 हजार से अधिक ग्रामीण अब आधार कार्ड से जुड़ी कोई भी सुविधा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।
इस सेवा के ठप हो जाने से क्षेत्र के लोगों को आधार कार्ड बनवाने, उसमें सुधार करवाने, अथवा अन्य किसी भी प्रकार की आधार संबंधित कार्यवाही के लिए दूर-दराज के इलाकों जैसे बड़बिल या जोड़ा जाना पड़ रहा है। इससे न केवल आर्थिक बोझ बढ़ रहा है, बल्कि बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को भी गंभीर असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस संवेदनशील स्थिति को देखते हुए स्थानीय सामाजिक संगठन ‘होप फॉर ह्यूमैनिटी’ ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए डाक विभाग और प्रशासन के समक्ष आवाज उठाई है। संगठन की अध्यक्षा श्रीमती संयुक्ता सासमाल ने बताया कि बोलानी एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहाँ बड़ी संख्या में आर्थिक रूप से कमजोर लोग निवास करते हैं। इन लोगों के लिए आधार कार्ड न केवल सिर्फ एक दस्तावेज है, बल्कि सरकारी योजनाओं में शामिल होने की एक अनिवार्य शर्त बन चुका है।
श्रीमती सासमाल ने यह भी कहा कि सेवा बंद होने से इस क्षेत्र के हजारों लोग कई सरकारी योजनाओं से वंचित हो रहे हैं। न तो वे नया आधार बनवा पा रहे हैं, न ही पुराने कार्ड में संशोधन संभव हो पा रहा है। इससे विद्यार्थियों की बिद्यालय में दाखिला, छात्रवृत्ति, राशन कार्ड, पेंशन योजनाएं और बैंकिंग सुविधाओं तक पहुँच भी प्रभावित हुई है।
समस्या के समाधान हेतु ‘होप फॉर ह्यूमैनिटी’ की ओर से बड़बिल तहसीलदार राकेश कुमार पंडा को एक मांग पत्र सौंपा गया है। इसमें मांग की गई है कि सात दिनों के भीतर बोलानी उपडाकघर में आधार सेवा पुनः प्रारंभ की जाए। तहसीलदार ने इस विषय में डाक विभाग से संपर्क कर शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया है।
संगठन ने स्पष्ट किया है कि यदि तय समय सीमा में आधार सेवा बहाल नहीं की जाती, तो वे उपडाकघर के समक्ष शांतिपूर्ण धरना देने के लिए बाध्य होंगे।
‘होप फॉर ह्यूमैनिटी’ का यह प्रयास केवल एक स्थानीय मुद्दे को उठाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संगठन समाज के वंचित वर्गों की आवाज बनकर उभर रहा है। बोलानी जैसे सीमांत क्षेत्रों में इस तरह की पहलों की आज अत्यंत आवश्यकता है, जहाँ अक्सर सरकारी सुविधाएँ समय पर नहीं पहुँच पातीं।