चुनाव प्रचार में छोटे बच्चों का बाल श्रमिक के तौर पर इस्तेमाल, कार्रवाई की मांग ।
बलानी, 20/5 -संविधान में बच्चों की सुरक्षा एवं अधिकारों को लेकर अनेक संवैधानिक अधिनियम रखा गया है। इस अधिनियम के अनुसार छोटे बच्चे को चुनाव कार्य में इस्तेमाल करना अपराध माना गया है। इसके अलावा चुनाव आयोग ने चुनाव में किसी भी बाल या बाल श्रमिक के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा रखा है । चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि अगर इस साल चुनाव में बच्चों को लगाया गया तो सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी । वाबजूद इसके यह देखा जा रहा है कि विभिन्न दलों के उम्मीदवार और स्वतंत्र उम्मीदवार इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। आरोप है कि पार्टी के पोस्टर, बैनर और बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाने के साथ घर-घर जाकर पार्टी प्रत्याशियों के प्रचार में बच्चों का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। चंपुआ विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों सहित सीमावर्ती खनन क्षेत्र जोड़ा,बड़बिल और बोलानी आदि क्षेत्र में विभिन्न दलों के कुज़ी नेता चुनावी प्रचार कार्य मे कम मजदूरी के लिए बाल श्रमिकों को असुरक्षित परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जा रहा है।। बाल मजदूरों को विभिन्न दीवारों पर पार्टी के पोस्टर लगाते हुए और विभिन्न पेड़ों, बिजली के खंभों और ऊंची छतों पर असुरक्षित रूप से विभिन्न उम्मीदवारों के बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाते हुए देखा जा रहा है। ऐसे आपराधिक मामले लगातार हो रहे हैं, तो बुद्धिजीवियों के महल में ऐसी घटनाओं की निंदा की जा रही है। मांग की गई है कि पंचायत स्तर और ब्लॉक स्तर पर चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त चुनाव अधिकारी ऐसी संवेदनशील घटनाओं पर गौर करें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें ।