Latest News

प्रस्तावित दुबे ब्रोदर्स आयरन बेनेफिकेशन प्लांट से कारो नदी और कसिया नाला पर संकट।

May 22, 2025
Odishakhabar:

 प्रस्तावित दुबे ब्रोदर्स आयरन बेनेफिकेशन प्लांट से कारो नदी और कसिया नाला पर संकट। 

बड़बिल,22 मई(शिबाशीष नंदा) -

ओडिशा के केउंझार ज़िले के बड़बिल तहसील स्थित मौजा-  कोल्हो बरपदा में दुबे ब्रदर्स आयरन एंड मेटल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित 1.5 MTPA क्षमता के आयरन ओर बेनीफिशिएशन प्लांट को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस परियोजना से न केवल क्षेत्रीय पर्यावरण को खतरा है, बल्कि स्थानीय नदियों और जल स्रोतों के लिए यह विनाशकारी साबित हो सकता है।

पर्यावरणीय खतरे स्पष्ट, फिर भी लोगों को नहीं मिली जानकारी-

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि इस प्लांट के चलते कसिया नाला और क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाने वाली कारो नदी पूरी तरह प्रदूषित हो सकती है। ये जल स्रोत न केवल ग्रामीणों की सिंचाई और पेयजल जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि क्षेत्र की जैवविविधता भी इन पर निर्भर है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि रासायनिक अपशिष्टों का प्रवाह इन जल स्रोतों को जहरीला बना देगा।

जनसुनवाई की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव-

नियमों के अनुसार किसी भी ऐसे पर्यावरणीय प्रोजेक्ट पर स्थानीय लोगों से राय लेने के लिए सार्वजनिक सुनवाई आवश्यक होती है। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि 23 मई 2025 को प्रस्तावित जनसुनवाई के संबंध में उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई है। न ही ग्राम सभाओं के माध्यम से कोई दस्तावेज साझा किया गया और न ही कंपनी की ओर से बैठक आयोजित की गई।

स्थानीय लोगों की मांग – 

परियोजना को तुरंत रोका जाए

कई पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और जिला प्रशासन से मांग की है कि इस परियोजना को तत्काल प्रभाव से रोका जाए और पहले विस्तृत सामाजिक और पर्यावरणीय अध्ययन कर रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। उनका कहना है कि ऐसी परियोजनाएं ग्रामीणों के जीवन, आजीविका और प्राकृतिक संसाधनों पर स्थायी असर डालती हैं।

विकास बनाम विनाश –

 सवालों के घेरे में नीति

यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या बिना जनसहमति के ऐसे प्रोजेक्ट्स को स्वीकृति देना नीति और लोकतंत्र के खिलाफ नहीं है? क्या सरकार और कंपनियां केवल उत्पादन क्षमता देखती हैं, मानव और प्राकृतिक जीवन की कीमत नहीं?

Related Post