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बोलानी में परंपरागत उल्लास और श्रद्धा के साथ संपन्न हुई बहुड़ा यात्रा

Jul 06, 2025
Odishakhabar:

बोलानी, 6 जुलाई — श्रीजगन्नाथ महाप्रभु की लीलाओं का समापन कर नौवें दिन रत्न वेदी (मूल मंदिर) को वापस लौटने की परंपरा, बहुड़ा यात्रा, सीमांत क्षेत्र बोलानी में बड़े ही श्रद्धा, उल्लास और परंपरागत रीति-नीति के साथ संपन्न हुई। बोलानी में स्थित दो जगन्नाथ मंदिरों की बहुड़ा यात्रा पूर्ण शांति और अनुशासन के साथ संपन्न हुई।

बोलानी विष्णु मंदिर परिसर स्थित जगन्नाथ मंदिर के श्रीजगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा एवं सुदर्शन देवता एक ही रथ में बोलानी बाजार स्थित श्रीगुंडिचा मंदिर (मौसी घर) से यात्रा कर बहुड़ा के दिन वापस रत्नवेदी पहुंचे। इन नौ दिनों में लक्ष्मीपूजा पंडाल में लक्ष्मी पूजा समिति की ओर से पारंपरिक रीति से तीनों ठाकुरों की पूजा-अर्चना की गई।

वहां की पूजा के उपरांत महाप्रभु को विधिवत पहंडी विजे (रथ पर चढ़ाने की परंपरा) कराकर रथ यात्रा प्रारंभ की गई। इस आयोजन में बोलानी खान के मुख्य महाप्रबंधक श्री जयदेव चट्टोपाध्याय सेवक राजा बनकर छेरापहंरा (झाड़ू लगाना) की परंपरा निभाई। वहीं समिति की और से किमिटी की सचिव महाजन चौधरी ने सेवायतों को गमछा भेट कर सम्मानित की । 

रथ खींचने के समय डाहुक की मधुर वाणी और हरिबोल के नारों के बीच सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से रथ को मंदिर तक पहुंचाया। पूरी यात्रा को बोलानी पुलिस और सीआईएसएफ बल ने स्थानीय युवाओं के सहयोग से शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराया।

इसी प्रकार, बिरसा मुंडा के समीप स्थित अन्य जगन्नाथ मंदिर से भी तीनों देवता शांति नगर स्थित मौसी मां मंदिर से बहुड़ा यात्रा कर रत्नवेदी लौटे। वहां भी नौ दिनों तक चलने वाली धार्मिक विधियों और पूजा के उपरांत भक्तगणों ने हर्षोल्लास के साथ रथ को खींचकर मंदिर तक पहुंचाया।

इस अवसर पर संपूर्ण बोलानी क्षेत्र भक्तिमय वातावरण से सराबोर रहा। मंदिर प्रांगण में हरिबोल, कीर्तन और भजन की गूंज के साथ यह धार्मिक आयोजन एक सामाजिक समरसता और श्रद्धा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता रहा।

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