बोलानी, 9 जुलाई -
केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ आज देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया था। देश के प्रमुख 10 श्रमिक संगठनों द्वारा समर्थित इस भारत बंद को कई संगठनों ने नैतिक समर्थन दिया, लेकिन सीमावर्ती बोलानी खदान क्षेत्र में इसका प्रभाव आंशिक रूप से केवल कुछ घंटों तक ही देखा गया।
बोलानी खदान में सक्रिय सात श्रमिक संगठनों में से केवल AITUC, CITU और HMS के नेतृत्व में सेल बोलानी लौह खदान के मुख्य द्वार के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया गया। सुबह 7 बजे से लेकर 10 बजे तक तीनों संगठनों के नेता खदान मुख्य द्वार पर पिकेटिंग करते हुए रास्ता अवरुद्ध किए रहे। इस दौरान खदान के D-एरिया और पानपोष क्षेत्र से 600 टीपीएच क्रशर तक माल ढुलाई लगभग दो घंटे तक प्रभावित रही।
हालांकि स्थायी और ठेका श्रमिक कार्यस्थल पर उपस्थित रहे और खदान संचालन पर व्यापक असर नहीं पड़ा। दूसरी ओर, क्षेत्र के बाज़ार एवं दुकानें खुली देखी गईं। कुछ शिक्षण संस्थानों ने हड़ताल को देखते हुए अवकाश की घोषणा कर दी थी। यात्रियों को बस सेवाएं बंद रहने के कारण असुविधा का सामना करना पड़ा।
📌 हड़ताल के प्रमुख मांगें:
श्रम सुरक्षा कानूनों को समाप्त करने वाली नई श्रम संहिता का विरोध
24 करोड़ से अधिक श्रमिकों पर नकारात्मक प्रभाव
बेरोज़गारी, महंगाई, शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सेवाओं में कटौती
नए रोजगार देने की जगह स्थायी कर्मचारियों को हटाने की नीति का विरोध
श्रमिक यूनियन गठन और हड़ताल के अधिकारों पर रोक लगाने की नीति के खिलाफ आवाज
मनरेगा मजदूरी में वृद्धि और उसे शहरी क्षेत्रों में लागू करने की मांग
पिछले 10 वर्षों में घोषित करोड़ों नौकरियों का न मिलना
सरकारी उपक्रमों का निजीकरण और पूंजीपतियों के पक्ष में निर्णय
जहां एक ओर देश भर में श्रमिक संगठन अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए, वहीं बोलानी क्षेत्र में नेतृत्व की कमजोरी और संगठनात्मक निष्क्रियता के कारण आंदोलन की धार कमजोर दिखाई दी।
यह हड़ताल सरकार की नीति के खिलाफ श्रमिक संगठनों की चेतावनी थी, लेकिन क्षेत्रीय संगठनों को जनसमर्थन जुटाने और आंदोलन को मजबूत करने के लिए अभी और प्रयास करने होंगे।