बोलानी, 17/5 (शिबाशीष नंदा) – दक्षिण-पूर्व रेलवे के कार्यकारी निदेशक (टीटी) प्रदीप कुमार ओझा ने शनिवार अपराह्न एक विशेष ट्रेन में रेलवे विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चक्रधरपुर रेल मंडल के विभिन्न स्टेशनों का निरीक्षण करते हुए बोलानी खदान स्टेशन पहुँचे। यहाँ उन्होंने बोलानी खान साइडिंग का जायज़ा लिया।
निरीक्षण के दौरान बोलानी विकास परिषद के आवाहक शुभाशीष नंद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि दल ने कार्यकारी निदेशक से चर्चा करते हुए बोलानी क्षेत्रवासियों की वर्षों पुरानी माँग — टाटा-बड़बिल पैसेंजर ट्रेन का बोलानी तक विस्तार को दोहराया ।
इसके साथ ही प्रतिनिधियों ने यह भी मांग की कि बड़बिल के लिए "लाइफलाइन" मानी जाने वाली हावड़ा-बड़बिल जनशताब्दी एक्सप्रेस, जो पिछले वर्ष से समय सारणी में नहीं चल रही है, उसे पुनः नियमानुसार संचालित किया जाए, क्योंकि इसके अभाव में खनन क्षेत्र के लोगों को भारी असुविधा हो रही है।
ज्ञात हो कि बोलानी खदान स्टेशन से दक्षिण-पूर्व रेलवे को प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। इसके बावजूद, बोलानी विकास परिषद के सदस्यों ने रेलवे विभाग पर क्षेत्र के प्रति सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया।
श्री नंद ने बताया कि परिषद पिछले 15 वर्षों से टाटा-बड़बिल पैसेंजर ट्रेन को बोलानी तक बढ़ाने की माँग कर रही है, और इस मुद्दे पर कई बार आर्थिक अवरोधों के साथ आंदोलन भी हुए हैं। बावजूद इसके रेलवे स्थानीय जनभावनाओं की अनदेखी कर रहा है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता और रेलवे विभाग की उदासीनता के कारण क्षेत्र के आम यात्री ,यात्री ट्रेन की सुविधा से वंचित हो रहे हैं। 1961 से पूरी तरह क्रियाशील बोलानी खदान स्टेशन से रेलवे को प्रतिवर्ष 1000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ होता है, फिर भी यहाँ के निवासी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
बोलानी और बालागोड़ा सहित झारखंड के किरिबुरु क्षेत्र के 25,000 से अधिक आदिवासी लोगों को रोजमर्रा के कार्यों के लिए टाटा जाना पड़ता है, लेकिन ट्रेन पकड़ने के लिए उन्हें 10 किमी दूर बड़बिल जाना पड़ता है। चूँकि सुबह की ट्रेन होती है, यात्रियों को रात में ही बड़बिल स्टेशन जाकर प्लेटफॉर्म पर रात बितानी पड़ती है। जबकि रेल मार्ग से यह दूरी मात्र 5-6 किमी है।
यदि टाटा-बड़बिल पैसेंजर ट्रेन को बोलानी तक विस्तारित किया जाए, तो यहाँ के लोगों को यात्री ट्रेनों की बेहतर सुविधा मिल सकती है।