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योजनाओं के ढेर, लेकिन ग़रीबों तक नहीं पहुँची राहत भूख से तड़पकर असहाय वृद्धा की मौत – सिस्टम पर उठे सवाल

Sep 11, 2025
Odishakhabar:

बोलानी, 10 सितम्बर (स्व.प्र) –

लोह और खनिज संपदा से भरपूर जोड़ा खनन क्षेत्र, जिसे देश–दुनिया में पहचान मिली है, वहीं उसी प्रचुरता के बीच गरीबी और बेबसी का एक भयावह दृश्य सामने आया है। सरकार की तमाम योजनाएँ, कंपनियों का सामाजिक दायित्व (CSR), और जिला खनिज फंड (DMF) – सबकुछ होते हुए भी यह क्षेत्र के ग़रीबों की ज़िंदगी से जैसे मज़ाक कर रहे हैं।

असहाय वृद्धा की करुण मौत

बालागोड़ा पंचायत के बालागोड़ा बस्ती की मुनी मुंडा, एक परिजनों से विहीन वृद्धा, ने भूख के कारण दम तोड़ दिया।

पति की मृत्यु के बाद उन्होंने भीख मांगने से इंकार कर दिया था। आत्मसम्मान से जीते हुए वह रोज़ जंगल से दातून और साल पत्ते बटोरकर स्थानीय बाज़ार में बेचती थीं। जो मिलता उसी से एक समय का पेट भरतीं और दूसरों के बरामदे के नीचे टूटी-फूटी झोपड़ी में रात काट लेतीं।

योजनाओं से वंचित

वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, आवास योजना, अन्नपूर्णा योजना – किसी का भी लाभ उन्हें नहीं मिला।

स्थानीय सरपंच गौरी खुंटिया और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से ही वह मुश्किल से ज़िंदा थीं।

स्थानीय अख़बार में खबर छपने के बाद प्रशासन ने तत्परता दिखाने का दावा किया, लेकिन नतीजा शून्य रहा।

आख़िरकार मंगलवार को, वह वृद्धा अपने फटे पुराने पत्तों की झोपड़ी के नीचे भूख से तड़पकर चल बसीं।

सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से उनका अंतिम संस्कार स्थानीय श्मशान में किया गया।

अब उठते हैं सवाल

करोड़ों रुपये की सरकारी योजनाएँ, DMF और CSR का पैसा कहाँ जा रहा है?

जब खनिज से यह धरती सोना उगल रही है, तो ग़रीबों की थाली क्यों खाली है?

इस दर्दनाक मौत का ज़िम्मेदार कौन – प्रशासन या पूरा तंत्र?

यह घटना सिर्फ़ एक मौत नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर गंभीर सवालिया निशान है।

खनिज से समृद्ध क्षेत्र में जब भूख से इंसान मर रहा है, तब क्या सचमुच यहाँ विकास हो रहा है, या यह केवल कागज़ी दस्तावेज़ों तक ही सीमित है?

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