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विकास की राह देखता एक अनछुआ स्वर्ग : झिंकिरा फॉल

Dec 11, 2025
Odishakhabar:

  

बोलानी, 11 दिसंबर(स्वतंत्र प्रतिनिधि) – केंदुझर जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां ऐसी कई रमणीय जगहें हैं, जो अपनी अद्भुत छटा से मन मोह लेती हैं। लेकिन कई प्राकृतिक पर्यटन स्थलों को आज भी उचित पहचान और विकास का इंतजार है। इन्हीं में से एक है—झिंकिरा नाला, जिसे लोग इंद्रधनुष जलप्रपात के नाम से भी जानते हैं।

सिर्फ 4 किलोमीटर दूर… पर विकास से कोसों दूर

बोलानी लौह खदान क्षेत्र के अंतर्गत, बोलानी पंचायत में स्थित झिंकिरा नाला प्रकृति की सुंदरतम देन है। बोलानी से मात्र 4 किमी और बड़ाबिल क्षेत्र से लगभग 10 किमी दूर स्थित यह जगह हर मौसम में पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।

बोलानी खदान के पंप हाउस के पास स्थित यह झरना करीब 80 फीट ऊंचाई से गिरता है। पानी की धार जब सुबह की सूरज की रोशनी से टकराती है, तो यहां इंद्रधनुष बनता है—यही कारण है कि इसे पर्यटक ‘इंद्रधनुष प्रपात’ कहते हैं।

घना जंगल, कल-कल बहता पानी और अद्भुत नज़ारे

झरने के पास की पगडंडी से 100 मीटर पहाड़ी चढ़कर जब पर्यटक झरने के बिल्कुल समीप पहुंचते हैं, तो प्रकृति की अनूठी छटा मन को मंत्रमुग्ध कर देती है। घने जंगल के बीच से बहती झरने की कल-कल ध्वनि हर आगंतु‍क को मोहित कर देती है। झारखंड और पश्चिम बंगाल से भी बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं, खासकर पिकनिक सीजन में तो यहां भीड़ उमड़ पड़ती है।

पर्यटन की अपार संभावनाएँ, पर सुविधाओं का घोर अभाव

जहां सैकड़ों लोग हर साल इस जगह पर आते हैं, वहीं बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यह खूबसूरत स्थल अविकसित ही रह गया है।

कुछ वर्ष पहले तत्कालीन संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ज्योतिप्रकाश पाणिग्राही ने झिंकिरा नाला का निरीक्षण कर सेल–बोलानी खदान प्रबंधन को विकास कार्य करने का निर्देश दिया था। लेकिन खदान प्रबंधन द्वारा केवल सड़क को समतल करने के अलावा कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया।

उदासीनता ने रोक रखी है विकास की रफ्तार

जिला पर्यटन विभाग और बोलानी खदान प्रबंधन की उदासीनता के कारण झिंकिरा नाला आज भी एक मान्यता प्राप्त पर्यटन स्थल नहीं बन पाया है, जबकि प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन की संभावनाएँ प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं।

स्थानीय आदिवासी समुदाय को मिल सकता है बड़ा लाभ

यदि यहां आधारभूत पर्यटन सुविधाएँ—जैसे बैठने की व्यवस्था, पेयजल, सुरक्षा, रास्ते का विकास, और प्रचार-प्रसार—किए जाएँ, तो स्थानीय आदिवासी समुदाय आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकता है और यह स्थान राज्य का एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण बन सकता है।

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