बोलानी,3 May-
बोलानी थाना क्षेत्र के माटकामबेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित आरया फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर स्थानीय ग्रामीण दो दिनों से लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि फैक्ट्री प्रबंधन स्थानीय समुदाय के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करे। इस आंदोलन के कारण फैक्ट्री में कच्चे माल की आपूर्ति और तैयार माल का परिवहन पूरी तरह से ठप हो गया है। अन्य औद्योगिक गतिविधियों पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।
आंदोलनकारियों के प्रमुख आरोप और मांगे:
1. भूमि अधिग्रहण का मुद्दा:
ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री ने वर्षों पहले आदिवासी किसानों की ज़मीन अधिग्रहित की थी, लेकिन उन्हें न मुआवजा मिला और न ही वैकल्पिक रोज़गार। उनका आरोप है कि ज़मीन पर अवैध कब्जा कर फैक्ट्री ने हजारों करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है।
2. रोज़गार में भेदभाव:
आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि फैक्ट्री स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के बजाय बाहरी लोगों को नौकरी दे रही है। विशेष रूप से ज़मीन देने वाले परिवारों के युवाओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
3. पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव:
फैक्ट्री से निकलने वाली धूल और धुएं से स्थानीय लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। कई ग्रामीण श्वसन संबंधी और त्वचा रोगों से ग्रसित हैं। इसके अलावा, फैक्ट्री का अपशिष्ट स्थानीय खेतों में फैलकर कृषि भूमि को बंजर बना रहा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
4. विकास कार्यों में उपेक्षा:
स्थानीय लोगों का कहना है कि फैक्ट्री ने अब तक क्षेत्र के समग्र विकास—जैसे सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल—के लिए कोई ठोस पहल नहीं की है, जिससे ग्रामीणों में गहरा असंतोष है।
पूर्व में भी उठाई गई थी आवाज:
धरना दे रहे लोगों ने बताया कि 31 अगस्त 2024 को उन्होंने कंपनी और जिला प्रशासन को लिखित रूप से अपनी समस्याएं बताई थीं। लेकिन आज तक न कोई समाधान मिला और न ही कोई संवाद स्थापित किया गया। इससे मजबूर होकर उन्हें सड़क पर उतरना पड़ा।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल:
प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया है कि जिला प्रशासन और फैक्ट्री प्रबंधन इस गंभीर स्थिति को नज़रअंदाज़ क्यों कर रहे हैं। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी गई है।