बोलानी, 6 अक्टूबर (स्वतंत्र प्रतिनिधि) – सीमांत और खनन क्षेत्र बोलानी में दशकों पुरानी एक अनोखी परंपरा आज भी जीवित है। जहां देशभर में विजयादशमी के दिन रावण दहन होता है, वहीं बलानी में यह आयोजन दशमी के दूसरे दिन किया जाता है। यही परंपरा अब इस क्षेत्र की पहचान बन चुकी है।
रविवार की शाम बलानी में भव्य रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किया गया। लगभग 50 फुट ऊंचे रावण पुतले को देखते ही दर्शक झूम उठे। इस अवसर पर विभिन्न प्रकार की आतिशबाजियां – रंगमहल, कदंब झाड़, ऊँचे गिरी, फूल चकरी, रॉकेट, लाइटिंग शॉट आदि – ने आसमान को रोशन कर दिया। रावण के विशाल पुतले को लोहा और पुआल से तैयार किया गया था तथा उसे खड़ा करने में क्रेन और लोडर का प्रयोग किया गया।
इस रावण दहन के साथ ही बलानी की 63 वर्षों से चल रही दुर्गा पूजा और मेला का समापन हुआ। खनन कर्मियों की मेहनत और समर्पण से हर वर्ष यह आयोजन भव्य रूप लेता जा रहा है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलानी खदान के मुख्य महाप्रबंधक मल्ला श्रीनिवासु उपस्थित थे, जबकि विशिष्ट अतिथियों में सीआईएसएफ के डिप्टी कमांडेंट दीपक राय, बलानी थाना प्रभारी लव बोड़ा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल रहे।
पूरे आयोजन के दौरान स्थानीय पुलिस और सीआईएसएफ जवानों की सघन सुरक्षा व्यवस्था रही। दुर्गा पूजा कमिटी और रावण दहन कमिटी के सदस्यों के सहयोग से कार्यक्रम शांतिपूर्ण और आकर्षक ढंग से संपन्न हुआ।
रावण दहन देखने के लिए न केवल बोलानी क्षेत्र बल्कि आसपास के गांवों से हजारों श्रद्धालु और दर्शक पहुंचे और देर रात तक मेले का आनंद उठाते रहे।