बोलानी, 11 जून (शिबाशीष नंदा) — ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि पर पारंपरिक रूप से मनाया जाने वाला 'देव स्नान' उत्सव इस बार भी श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर जगन्नाथ मंदिरों में विशेष अनुष्ठान आयोजित किए गए। सीमांत खनिज क्षेत्र बोलानी की आवासीय कॉलोनी स्थित श्री विष्णु मंदिर प्रांगण में विराजमान श्री जगन्नाथ मंदिर और बिरसा क्लब के पास स्थित एक अन्य श्री जगन्नाथ मंदिर में भी परंपरा के अनुसार स्नान यात्रा का आयोजन किया गया।
स्नान वेदी पर विराजमान होने से पहले चतुर्धा मूर्तियों — भगवान बलभद्र, माता सुभद्रा, प्रभु जगन्नाथ और सुदर्शन — को पारंपरिक विधि से रत्न वेदी से लाकर पहंडी यात्रा के जरिए स्नान मंडप तक लाया गया। सबसे पहले सुदर्शन, फिर बलभद्र, उसके पश्चात देवी सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ की पहंडी यात्रा संपन्न हुई।
स्नान मंडप पर वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा अर्चना के साथ चारों प्रतिमाओं का सुगंधित जल से विधिपूर्वक स्नान कराया गया। भगवान बलभद्र को 33 गगरा, भगवान जगन्नाथ को 35 गगरा, देवी सुभद्रा को 22 गगरा और सुदर्शन को 18 गगरा — कुल मिलाकर 108 गगरा जल से स्नान कराया गया।
स्नान के उपरांत चतुर्धा मूर्तियों को नवीन वस्त्रों से सजाया गया। तत्पश्चात हवन, विशेष पूजा विधियाँ और भोग अर्पण जैसे धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए गए। इन अनुष्ठानों के बाद श्रीविग्रहों को अनसर घर (विश्रामगृह) में विश्राम हेतु ले जाया गया।
इस अवसर पर दोनों मंदिरों के पुजारीगण, स्थानीय ब्राह्मण सेवायत और अनेक श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति देखी गई। महिला भक्तों ने तुलसी और पुष्पमालाओं के साथ विशेष रूप से ठाकुर जी के लिए सजावट की। दोनों मंदिर समितियों के सदस्य आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय रूप से शामिल रहे।